विगत कई वर्षों से लगातार पार्टी को मिल रही असफलता और खोती हुई जनाधार को देखते हुए प्रदेश में एक बार फिर से नए सिरे से बहुजन समाज पार्टी को विस्तार देने में लगी है मायावती पुरे प्रदेश को कई खंडों में विभाजित कर लगभग एक दर्जन नेताओं को बूथ स्तर पे पार्टी मजबूत करने की जिम्मेदारी दी है और साथ ही साथ पहली बार प्रदेश में उप–चुनाव लड़ने की भी घोषणा बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती कर दी विगत वर्ष में 2022 में सभी 403 सीटों में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मायावती की पार्टी बहुजन समाजवादी को न सिर्फ़ क हार का सामना करना पड़ा बल्कि मायावती की राजनीतिक विश्वसनीयता पे भी गाहे-बगाहे सवालिया उठाते रहे है कभी श्री काशीराम के विरासत को आगे बढ़ाते हुए समाज के दबे कुचले वर्गों की नुमाइंदगी के सहारे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक कुर्सी को कई,कई बार हथियाने वाली मायावती और उसकी पार्टी हाल के वर्षों में लगातार राजनीतिक हाशिये की ओर बढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ़ उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीतिक विरोधियों को न सिर्फ ठिकाने लगाने में सफल रही हैं बल्कि लगातार हिंदुत्व, राम मंदिर और राष्ट्रवाद जैसे ज्वलनशील मुद्दों को उठा कर पब्लिक के बिच बनी रही जिसका परिणाम लगातार दूसरी बार योगी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के लिए राहें आसान नही था और न ही राम मंदिर और हिंदुत्व का मुद्दा चुनाव जितवाने के लिए काफ़ी था बल्के एक एक बूथ पर कार्यकर्ताओं का मेहनत,संगठन की मजबूती, ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सीधा हस्तक्षेप तथा कार्यकर्ताओं से समन्वय का परिणाम था की भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रही दूसरी तरफ मायावती जैसे कद्दावर नेताओं की राजनीतिक उदासीनता, परदेश में दलितों एवं महा–दलितों के खिलाफ़ बढ़ती हुई हिंसा, बलात्कार जैसे मुद्दों पर मायावती की चुप्पी बूथ स्तर पर पार्टी का लगातार कमज़ोर होना अलग-अलग चुनाव में पार्टी के असफलता का मुख्य कारण हैं

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